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GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Chapter 1 आराधना


स्वाध्याय

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :

प्रश्न 1. कवि नित्य कैसी आराधना चाहते हैं?
उत्तर :
कवि नित्य ऐसी आराधना चाहते हैं जिसमें सत्य, सुंदर और मांगल्य की भावना हो।


प्रश्न 2. कवि किसकी मनोकामना चाहते हैं.?
उत्तर :
दुःखी लोग दुःखों से मुक्त हों, ऐसी मनोकामना कवि चाहते हैं।

प्रश्न 3. कवि दुर्बलों के रक्षणार्थ किसकी साधना चाहते हैं?
उत्तर :
कवि दुर्बलों के रक्षणार्थ पौरुष की साधना चाहते हैं।

प्रश्न 4. कवि किसकी अभ्यर्थना करते हैं?
उत्तर :
कवि सबके जीवन में नया प्रकाश आने की अभ्यर्थना करते हैं।

प्रश्न 5. कवि कैसी बंधुता की कामना करते हैं?
उत्तर :
कवि ऐसी बंधुता की कामना करते हैं जिसमें सब स्वतंत्र होकर भी भाईचारे की भावना से जुड़े हों।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1. कवि कैसे मांगल्य की आराधना करते हैं?
उत्तर :
मांगल्य’ अर्थात् सबका कल्याण। कवि चाहते हैं कि सब लोग सत्य के मार्ग पर चलें, सबके मन में सुंदर विचार आएं और सब एक-दूसरे के कल्याण की बात सोचें। इस तरह कवि सबके कल्याण की कामना करते हुए मांगल्य की आराधना करते हैं।

प्रश्न 2. कवि के अनुसार किसके दु:ख दूर होने चाहिए?
उत्तर :
कवि के अनुसार लोगों के जीवन में तरह-तरह के दु:ख हैं। इन दुःखों से छुटकारा पाने का उन्हें कोई मार्ग नहीं सूझता। उन्हें दूसरों की सहानुभूति भी नहीं मिलती। वे स्वयं अपने दुःखों से मुक्त नहीं हो सकते। ऐसे उपेक्षित और असहाय लोगों के दुःख दूर होने चाहिए।

प्रश्न 3. कवि की क्या अभ्यर्थना हैं?
उत्तर :
कवि चाहते हैं कि मनुष्य के जीवन में नया प्रकाश आए। वह नई चेतना का अनुभव करे। उसके हृदय में सुंदर और नए विचार हो। उसकी सभी आशाएं पूरी हों। वह मनुष्यता की पूजा करे। सब लोग धौर-वौर बनें।

प्रश्न 4. कवि भेदों को नाश करने की बात क्यों करते हैं.?
उत्तर :
संसार में विज्ञान ने बहुत उन्नति कर ली है, फिर भी दुनिया में ऊँच-नीच, जाति-पाति, अमीर-गरीब आदि कई भेद हैं। इन भेदभावों के कारण मानव-समाज में ईर्ष्या-द्वैष और संघर्ष हैं। इनके कारण मानव-एकता में बाधाएँ आती हैं और हमारा विश्वबंधुत्व का सपना पूरा नहीं होता। इसलिए कवि इन भेदों को नाश करने की बात करते हैं।

3. निम्नलिखित काव्यपंक्तिओं का आशय स्पष्ट कीजिए :

प्रश्न 1. देहमंदिर चित्तमंदिर एक ही है प्रार्थना।
सत्य सुंदर मांगल्य की नित्य हो आराधना ॥
उत्तर :
कवि वसंत बापट बहुत ही उदारहृदय और ऊंची दृष्टि के कवि हैं।
उनके चित्त और देह की बस एक ही प्रार्थना है कि लोग अच्छे कर्म करें।
सत्य के मार्ग पर चलें। उनके हृदय में शुभ और सुंदर भावनाएं हों।
लोग स्वार्थ त्यागकर सबके हित की बात सोचें।

प्रश्न 2. भेद सभी अस्त होने बैर और वासना मानवों की एकता की पूर्ण हो कल्पना
मुक्त हमें चाहे. एक ही बंधुता की कल्पना ॥
उत्तर :
आज संसार में वर्ण-भेद, जाति-भेद, रंग-भेद आदि कई भेद बने हुए हैं।
ईर्ष्या-द्वेष के कारण ऊँच-नीच का अंतर बना है।
इसलिए मानवजाति में एकता नहीं है।
संसार में अशांति और संघर्ष का कारण ये तरह-तरह के भेद ही है।
जब तक इन भेदों का नाश नहीं होगा, तब तक मनुष्यजाति एक नहीं होगी।

4. काव्यपंक्तिओं को पूर्ण कीजिए :

प्रश्न 1. देहमंदिर चित्तमंदिर एक ही…….
………………………………पौरुष की साधना।।
उत्तर :
देहमंदिर, चित्तमंदिर एक ही है प्रार्थना।
सत्य-सुंदर मांगल्य की नित्य हो आराधना।।
दुखियारों का दुःख जाए. है यही मनकामना।
वेदना को परख पाने जगाएं संवेदना।।
दुर्बलों के रक्षणार्थ पौरुष की साधना।।

प्रश्न 2. जीवन में नवतेज हो………..
…………………..बंधुता की कामना॥
उत्तर :
जीवन में नवतेज हो, अंतरंग में भावना।
सुंदरता की आस हो मानवता की हो उपासना।।
शौर्य पावें, धैर्य पावें, यही है अभ्यर्थना।।
भेद सभी अस्त होवें, बैर और वासना।।
मानवों की एकता की पूर्ण हो कल्पना।
मुक्त हम, चाहें एक ही बंधुता की कामना।।

5. विरुद्धार्थी शब्द लिखिए।

प्रश्न 1.

  1. दु:ख × …………
  2. जीवन × …………
  3. सत्य × …………
  4. सुंदर × …………
  5. अस्त × …………

उत्तर :

  1. दु:ख × सुख
  2. जीवन × मृत्यु
  3. सत्य × असत्य
  4. सुंदर × असुंदर
  5. अस्त × उदय