GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 2 बूढ़ी काकी
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1. बूढ़ी काकी के भतीजे का क्या नाम था ?
(अ) धनीराम
(ब) पं. बुद्धिराम
(क) सुखराम
(ड) दु:खराम
उत्तर :
(ब) पं. बुद्धिराम
प्रश्न 2. रूपा किसकी पत्नी थी ?
(अ) धनीराम
(ब) मनीराम
(क) हनीराम
(ड) पं. बुद्धिराम
उत्तर :
(ड) पं. बुद्धिराम
प्रश्न 3. किसने अपने हिस्से की पूड़ियाँ काकी के लिए बचाकर रखी थी ?
(अ) रूपा
(ब) बुद्धिराम
(क) लाडली
(ड) श्यामा
उत्तर :
(क) लाडली
प्रश्न 4. बूढ़ी काकी को पत्तलों पर से जूठी पूड़ी के टुकड़े खाता देखकर कौन सन्न रह गया ?
(अ) रूपा
(ब) बुद्धिराम
(क) लाडली
(ड) श्यामा
उत्तर :
(अ) रूपा
2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1. बूढी काकी कैसे रोती थी ?
उत्तर :
बूढ़ी काकी गला फाड़-फाड़कर रोती थी।
प्रश्न 2. बुद्धिराम के घर किस उत्सव में पूड़ियाँ बन रही थी ?
उत्तर :
बुद्धिराम के बड़े लड़के मुखराम के तिलक का उत्सव था, इसलिए बुद्धिराम के घर पूड़ियाँ बन रही थीं।
प्रश्न 3. बूढ़ी काकी को कहाँ पर बैठा देखकर रूपा क्रोधित हो गई ?
उत्तर :
बढ़ी काकी को कड़ाह के पास बैठा देखकर रूपा क्रोधित हो गई।
प्रश्न 4. किस खुशी में लाडली को नींद आ रही थी ?
उत्तर :
काकी को पूड़ियाँ देने की खुशी में लाड़ली को नींद नहीं आ रही थी।
प्रश्न 5. उत्सव के दिन बूढ़ी काकी किसके डर से नहीं रो रही थी ?
उत्तर :
उत्सव के दिन अपशुकन के डर से काकी नहीं रो रही थी।
प्रश्न 6. बुढ़ापे में बूढ़ी काकी की समस्त इच्छाओं का केन्द्र कौन-सी इन्द्रिय थी ?
उत्तर :
बुढ़ापे में बूढ़ी काकी की समस्त इच्छाओं का केन्द्र : स्वादेद्रिय थी।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1. बूढ़ी काकी कब रोती थी ?
उत्तर :
बूढ़ी काकी में जीभ के स्वाद के सिवा कोई चेष्टा शेष नहीं थी। जब घरवाले उनकी इच्छा के विपरीत कोई काम करते, उनके भोजन का समय टल जाता या भोजन की मात्रा कम होती अथवा बाजार से कोई चीज आती और उन्हें न मिलती, तो वे रोती थी।
प्रश्न 2. लड़के बूढ़ी काकी को कैसे सताते थे ?
उत्तर :
लड़के जब-तब बूढ़ी काकी को सताया करते थे। लड़कों में से कोई उन्हें चुटकी काटकर भागता था और कोई उन पर पानी की कुल्ली कर देता था। इस तरह लड़के बूढ़ी काकी को सताते थे।
प्रश्न 3. बूढ़ी काकी की कल्पना में पूड़ियों की कैसी तसवीर नाचने लगी ?
उत्तर :
बूढ़ी काकी को पूड़ियों और मसालों की सुगंध बेचैन कर रही थी। उनकी कल्पना में लाल-लाल, फूली-फूली और नरम नरम पूड़ियों की तसवीर नाचने लगी।
प्रश्न 4. थाली में भोजन सजाकर बूढ़ी काकी को खिलाते समय रूपा ने क्या कहा ?
उत्तर :
बूढ़ी काकी को जूठे पत्तलों से पूड़ियों के टुकड़े खाते हुए देखकर रूपा को बहुत ग्लानि हुई। उसने थाली में भोजन सजाकर बूढ़ी काकी के सामने रखा और कहा, “काकी उठो, भोजन कर लो। मुझसे आज बड़ी भूल हुई, उसका बुरा न मानना। परमात्मा से प्रार्थना कर दो कि वे मेरा अपराध क्षमा कर दें।”
प्रश्न 5. बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी की संपत्ति कैसे हथिया ली थी ?
उत्तर :
बूढ़ी काकी के परिवार में अपने भतीजे बुद्धिराम के सिवा कोई दसरा न था। बद्धिराम ने बूढ़ी काकी से खुब लंबे चौड़े वादे किए और उन्हें तरह-तरह के सब्जबाग दिखाए। बूढ़ी काकी उसके झांसे में आ गई। इस तरह बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी की संपत्ति हथिया ली।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1. क्या देखकर रूपा को पश्चाताप हुआ ? क्यों ?
उत्तर :
रूपा के बड़े लड़के के तिलक में मेहमानों तथा अन्य लोगों को पूड़ियाँ, कचौड़ियाँ तथा मसालेदार सब्जियों परोसी गई थीं। सब खा-पीकर सो गए, पर बूढ़ी काकी को खाने के लिए किसी ने नहीं पूछा। रात को रूपा की नींद खुली तो उसने जो दृश्य देखा उससे उसका हृदय सन्न रह गया। भूख से व्याकुल बूढ़ी काकी जूठे पत्तलों से चुन-चुनकर पूड़ियों के टुकड़े खा रही थीं। यह देखकर उसे अपनी भूल पर बहुत पश्चात्ताप हुआ। उसने सोचा कि जिसकी संपत्ति से उसे दो सौ रुपए वार्षिक आय होती है, उसके साथ उसने यह कैसा बर्ताव किया।
प्रश्न 2. रूपा और बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी के प्रति कब अमानुषिक व्यवहार किया और क्यों ?
उत्तर :
रूपा और बुद्धिराम के बड़े बेटे के तिलक में पूड़ियाँ, कचौड़ियाँ निकाली जा रही थीं और मसालेदार सब्जी बन रही थी। घौ और मसालों की सुगंध चारों ओर फैल रही थी। बूढ़ी काकी को यह सुगंध बेचैन कर रही थी। वे रेंगते-रेंगते कड़ाह के पास पहुंच गई थीं। इस पर रूपा आग-बबूला हो उठी थी और उसने काकी को दोनों हाथों झटककर उनको बहुत जलील किया था।
इसके बाद एक बार फिर बूढ़ी काकी भोजन की आशा में सरकती हुई आंगन में आ गई थीं, पर मेहमान तब तक भोजन कर ही रहे थे। इस पर बुद्धिराम क्रोध से तिलमिला गया था। वह काकी के दोनों हाथ पकड़कर घसीटते हुए उन्हें उनकी कोठरी में पटक आया था। इस प्रकार रूपा और बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी के प्रति इन दो अवसरों पर अमानुषी व्यवहार किया था।
प्रश्न 3. खाने के बारे में बूढ़ी काकी के मन में कैसे-कैसे मंसूबे बँधे ?
उत्तर :
बूढ़ी काकी की कल्पना में पूड़ियों की तस्वीर नाच रही थी। पूड़ियाँ लाल-लाल, फूली-फूली, नरम-नरम होंगी। कचौड़ियों में आजवाइन और इलायची की महक आ रही होगी। उन्होंने खाने के बारे में तरह-तरह के मंसूबे बांधे थे। वे कहती, पहले सब्जी से पूड़ियाँ खाऊँगी, फिर दही और शक्कर से। कचौड़ियों रायते के साथ मजेदार मालूम होंगी। वे कहती, चाहे कोई बुरा माने चाहे भला, वे मांग-मांगकर खाएंगी। लोग यही कहेंगे न कि इन्हें विचार नहीं है। कहा करें लोग। इतने दिन के बाद पूड़ियाँ मिल रही हैं, तो मुंह जूठा करके थोड़े ही उठ जाएंगी। इस प्रकार बूढ़ी काकी के मन में खाने के बारे में मंसूबे बंधे थे।
प्रश्न 4. ‘बुढ़ापा तृष्णारोग का अंतिम समय है’ लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर :
अपने जीवन में मनुष्य की तरह-तरह की कामनाएं होती हैं। बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था तथा प्रौढ़ावस्था तक मनुष्य को जल्द-से-जल्द कामनाओं की पूर्ति की उतनी चिंता नहीं होती, जितनी वृद्धावस्था में। क्योंकि वृद्धावस्था में मनुष्य के जीवन के गिने-चुने वर्ष ही बचे रहते हैं। वह जीवन के बचे-खुचे वर्षों में अपनी कामनाओं को पूरा करने की हर हालत में कोशिश करता है। इसके लिए उसे बुरेभले, मान-अपमान की परवाह नहीं होती। इसलिए लेखक ने कहा है कि बुढ़ापा तृष्णारोग का अंतिम समय है।
5. आशय स्पष्ट कीजिए:
प्रश्न 1. बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है ।
उत्तर :
कहते हैं बुढ़ापा बचपन का ही एक रूप है। वृद्धावस्था में मनुष्य की हरकतें बच्चों जैसी हो जाती हैं। वृद्धावस्था में मनुष्य के अंग-प्रत्यंग कमजोर हो जाते हैं और उन्हें बच्चों की तरह दूसरों का सहारा लेना पड़ता है। दिमाग कमजोर हो जाता है और याददाश्त बच्चों की तरह हो जाती है। दांत गिर जाते हैं और मनुष्य का मुंह बच्चों की तरह पोपला हो जाता है। बच्चों की तरह वृद्धों को मान-अपमान की परवाह नहीं होती। जैसे बच्चों की बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता, उसी प्रकार वृद्धों की बातों पर भी ध्यान नहीं दिया जाता। उनकी इच्छाअनिच्छा का भी कोई महत्त्व नहीं होता। वृद्धावस्था और बचपन की अधिकांश बातों में समानता होती है। इसलिए कहा जा सकता है कि, बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन होता है।
प्रश्न 2. लड़कों का बूढ़ों से स्वाभाविक विद्वेष होता ही है ।
उत्तर :
लड़कों और बूढ़ों के बीच पीढ़ियों का अंतर होता है। हर बात के संबंध में दोनों की सोच में अंतर होना स्वाभाविक है। अधिकांश बूढ़े किसी बात को अपने ढंग से सोचते हैं और उसके बारे में उनकी अपनी धारणा बनी होती है। हर बात को अपने इसी पैमाने पर कसने का वे प्रयास करते हैं। जबकि, नई पीढ़ी के लड़कों की सोच नए ढंग की होती है। इसलिए दोनों के विचारों में टकराव होना स्वाभाविक है। इस अर्थ में लड़कों और बूढों में स्वाभाविक विद्वेष होता ही है।
6. सूचनानुसार उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1. समानार्थी शब्द दीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 2. विरुद्धार्थी शब्द दीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 3. शब्दसमूह के लिए एक शब्द दीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 4. मुहावरों के अर्थ बताकर वाक्य-प्रयोग कीजिए :